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Tuesday, December 2, 2008

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनेट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा था , याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?

- LoveNismi

Sunday, November 30, 2008

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी को बस बादल समझता है।
तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दिवाना था, कभी मीरा दिवानी है।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है , जो ना समझे तो पानी है।


इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,
सब को अपना कह सकूँ, ऐसा ठिकाना चाहता हूँ,
टूटे तारों को जोड़ कर, फिर आजमाना चाहता हूँ,
बिछुड़े जनों से स्नेह का, मंदिर बनाना चाहता हूँ.

हर अन्धेरे घर मे फिर, दीपक जलाना चाहता हूँ,
खुला आकाश मे हो घर मेरा, नही आशियाना चाहता हूँ,
जो कुछ दिया खुदा ने, दूना लौटाना चाहता हूँ,
जब तक रहे ये जिन्दगी, खुशियाँ लुटाना चाहता हूँ.

याद आए कभी तो आँखें बंद मत करना,
हम ना भी मिलें तो गम मत करना,
ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलें,
मगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करना.
बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती..

- LoveNismi
- Sonik